गेहूं खरीद में 46% की जोरदार बढ़त, सरकारी स्टॉक में रिकॉर्ड इजाफा
इस वर्ष गेहूं की सरकारी खरीद ने जोरदार रफ्तार पकड़ी है। अब तक 198.6 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी है, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में हुई 135.8 लाख टन की खरीद की तुलना में 46% अधिक है। इस बढ़ोतरी का मुख्य कारण इस बार रिकॉर्ड उत्पादन और कुछ राज्यों में MSP पर बोनस की घोषणा है। सरकार ने इस वर्ष 312.7 लाख टन खरीद का लक्ष्य रखा है। पिछले वर्षों की तुलना में यह बेहतर प्रदर्शन है। 2022-23 में 440 लाख टन लक्ष्य के विरुद्ध 187.9 लाख टन 2023-24 में 341.5 लाख टन के विरुद्ध 262 लाख टन 2024-25 में 373 लाख टन लक्ष्य के विरुद्ध अब तक 266.1 लाख टन खरीद की जा चुकी है। 2021-22 में रिकॉर्ड 433.4 लाख टन गेहूं की खरीद हुई थी। इसके बाद से लगातार खरीद में गिरावट देखी गई, जिससे OMSS (Open Market Sale Scheme) के तहत बिक्री भी घटी। 2023-24 में OMSS के तहत 100 लाख टन से अधिक गेहूं बेचा गया, जबकि बीते सीजन में यह घटकर 30 लाख टन रह गया। 1 अप्रैल 2025 तक केंद्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक 117.9 लाख टन पहुंच गया है, जो पिछले साल की तुलना में 42.9 लाख टन अधिक है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, फिलहाल सरकार निर्यात पर लगे प्रतिबंधों या राशन स्कीम में आवंटन बढ़ाने जैसे निर्णयों पर विचार नहीं करेगी। हालांकि, खरीद बंद होने के 30–45 दिन के भीतर OMSS के तहत बिक्री शुरू हो सकती है। बाजार की स्थिति बीते सप्ताह गेहूं की मांग सामान्य बनी रही, जिससे भाव में 10 रुपये प्रति क्विंटल की मजबूती दर्ज की गई। दिल्ली लाइन में आवक बढ़ी है, जिससे भाव पर दबाव बना हुआ है। यदि 10 से 20 मई के बीच आवक नहीं सुधरी, तो वर्षभर गैप बना रह सकता है। क्षेत्रवार स्थिति: गोरखपुर मंडल में इस बार पिछले साल की तुलना में 5 गुना अधिक आवक, हालांकि सफेद गेहूं की मात्रा अधिक। दिल्ली लाइन में आवक इस बार 16% कम। उत्तरप्रदेश की खरीद 15 लाख टन के भीतर सिमटने की उम्मीद। मध्यप्रदेश सरकार पिछले साल की तुलना में 12 लाख टन अधिक खरीदने की राह पर, अब तक मात्र 4 लाख टन पीछे। मिल स्तर पर स्थिति: देश भर के अधिकांश मिलों में भाव 20 से 40 रुपये प्रति क्विंटल तक कमजोर रहे। आटा, मैदा व चोकर की मांग भी सुस्त बनी रही। मिलर्स व बड़ी कंपनियों ने पर्याप्त स्टॉक कर लिया है, जबकि उत्तरप्रदेश में स्टॉकिस्टों के पास मिलर्स से अधिक माल मौजूद है।