सरसों - कीमतों में नरमी, आवक में भारी गिरावट

अप्रैल 2025 में देश की प्रमुख सरसों मंडियों में कीमतों में अस्थिरता और कुल आवक में तेज़ गिरावट देखने को मिली। महीने की शुरुआत में आवक तेज़ रही, लेकिन अंत तक यह लगभग 55% घटकर 11.5 लाख बैग से 5.25 लाख बैग तक पहुंच गई। अप्रैल में कुल आवक 184 लाख बोरी रही, जो मार्च 2025 में 241 लाख बोरी थी। प्रमुख मंडियों की स्थिति: दिल्ली मंडी (42% कंडीशन): कीमतें ₹6150/क्विंटल से बढ़कर 10 अप्रैल को ₹6300 पहुंचीं, लेकिन फिर गिरावट के साथ 21 अप्रैल को ₹6000 और महीने के अंत में ₹6050 पर स्थिर हुईं। जयपुर मंडी (42% कंडीशन): ₹6375/क्विंटल से शुरुआत हुई, 10 अप्रैल को ₹6400 तक गईं लेकिन 25 अप्रैल तक ₹6250 तक गिर गईं। महीने के अंत में मामूली सुधार के साथ ₹6275 पर पहुंचीं। भरतपुर (औसत गुणवत्ता): अप्रैल की शुरुआत में ₹6100 से शुरू होकर 18 अप्रैल को ₹5875 तक गिरीं, अंत में ₹5910 पर पहुंचीं – जो अब भी शुरुआती स्तर से नीचे हैं। अलवर (औसत गुणवत्ता): यहाँ कीमतें ज़्यादा स्थिर रहीं – ₹6000 से ₹6100 के दायरे में कारोबार हुआ। 24 अप्रैल को ₹6050 तक गईं लेकिन फिर ₹5900 पर आ गईं। अन्य मुख्य बिंदु: सभी मंडियों में भाव MSP ₹5950/क्विंटल के आसपास या उससे मामूली कम ही रहे। कमज़ोर क्रशिंग डिमांड और पशु चारे में DDGS के बढ़ते उपयोग से खल की डिमांड प्रभावित हुई है। सरसों तेल का आयात न होने और इसकी स्थिर घरेलू मांग के चलते जुलाई से, त्योहारी सीजन की शुरुआत में, कीमतों को हल्का समर्थन मिल सकता है। निष्कर्ष: तेज़ गिरती आवक के बावजूद कीमतों में कोई बड़ी बढ़त न आना बाज़ार की मौजूदा कमजोरी को दर्शाता है। अगले कुछ महीनों में डिमांड में सुधार होने पर ही भाव स्थिरता या बढ़त की ओर जा सकते हैं।

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