पीली मटर के ड्यूटी-फ्री आयात से घरेलु कीमतों में गिरावट आ सकती है।

सरकार द्वारा वित्त वर्ष 2025-26 तक पीली मटर के आयात पर शून्य शुल्क (ड्यूटी फ्री) की अनुमति देने के फैसले से व्यापारियों और प्रोसेसरों में चिंता बढ़ गई है। उनका मानना है कि इससे देश में चना के भाव नीचे आ सकते हैं और किसान चना की खेती से दूर हो सकते हैं, जबकि चना देश के कुल दलहन उत्पादन का लगभग 50% हिस्सा है। चना के विकल्प के रूप में इस्तेमाल की जाने वाली पीली मटर, जिसे बेसन बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है, रूस और कनाडा से ₹3400/क्विंटल की दर से आयात हो रही है, जो कि चना के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) ₹5650/क्विंटल से काफी कम है। देश में मंडियों में चना ₹5200-₹5500/क्विंटल के दाम पर बिक रहा है, जो MSP से कम है। दिसंबर 2023 से अब तक 3.5 मिलियन टन से अधिक पीली मटर का आयात हो चुका है, जिसमें से 1 मिलियन टन अभी भी आयातकों के पास स्टॉक में है, जबकि देश में इसका उत्पादन मात्र 0.45 मिलियन टन हुआ है। इंडिया पल्सेस एंड ग्रेन्स एसोसिएशन और महाराष्ट्र दल मिलर्स एसोसिएशन जैसी औद्योगिक संस्थाओं ने सरकार से कम से कम 50% या 60% तक का आयात शुल्क दोबारा लागू करने की मांग की है, ताकि देशी किसानों को संरक्षण मिल सके। वहीं, कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) ने भी पीली मटर के आयात पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है, क्योंकि इससे चना के भाव और किसानों की आय पर नकारात्मक असर पड़ता है। पहले 2017 में 50% आयात शुल्क लगाया गया था ताकि देश में चना उत्पादन को प्रोत्साहन मिल सके, लेकिन दिसंबर 2023 में इसे खत्म कर दिया गया, जब चना का उत्पादन 2022-23 के 12.26 मिलियन टन से घटकर 2023-24 में 11 मिलियन टन रह गया। 2024-25 के लिए व्यापारिक सूत्रों के अनुसार उत्पादन केवल 9 मिलियन टन रहने का अनुमान है, जबकि कृषि मंत्रालय के अनुसार यह 11.33 मिलियन टन रहने की उम्मीद है।

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