कपास की खेती में जोरदार बढ़त, MSP में वृद्धि और सरकारी समर्थन से किसानों को राहत

न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी और मौसम की अनुकूल परिस्थितियों के चलते देश के प्रमुख कपास उत्पादक राज्यों में चालू खरीफ सीजन के दौरान कपास की बुवाई में किसानों की दिलचस्पी बढ़ी है। गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान और कर्नाटक जैसे राज्यों में कपास का रकबा बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 30 जून 2025 तक गुजरात में कपास का क्षेत्र 12.73 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 14.00 लाख हेक्टेयर, कर्नाटक में 3.75 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 4.67 लाख हेक्टेयर और राजस्थान में 4.31 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 5.89 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है। हालांकि महाराष्ट्र में कपास की बुवाई 25.57 लाख हेक्टेयर रही, जो पिछले साल इसी अवधि के 27.64 लाख हेक्टेयर की तुलना में करीब 2.07 लाख हेक्टेयर कम है। वर्तमान 2024-25 के मार्केटिंग सीजन (अक्टूबर-सितंबर) में भले ही कपास का उत्पादन घटा हो, लेकिन इसके बावजूद घरेलू बाजार में कपास की कीमतें MSP से काफी नीचे रहीं। इस स्थिति में भारतीय कपास निगम (CCI) ने किसानों के हित में हस्तक्षेप करते हुए MSP पर करीब 100 लाख गांठ (प्रत्येक 170 किलोग्राम) रूई की खरीद कर किसानों को भारी घाटे से बचाया। सरकार ने आगामी 2025-26 सीजन के लिए कपास के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि की है। मीडियम रेशेवाली कपास का MSP 589 रुपए बढ़ाकर 7710 रुपए प्रति क्विंटल और लम्बे रेशे वाली किस्मों का MSP 587 रुपए बढ़ाकर 8110 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है। किसानों को उम्मीद है कि यदि अगले सीजन में मंडी में कपास के थोक भाव फिर से MSP से नीचे जाते हैं, तो CCI एक बार फिर बड़े पैमाने पर खरीद कर उनके हितों की रक्षा करेगी।

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