चीनी उत्पादन में वृद्धि: उद्योग को कीमतों में मंदी का सामना, MSP बढ़ाने की मांग

भारत में इस वर्ष के पिराई सत्र में गन्ने की अधिक पैदावार के कारण चीनी उत्पादन में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है। पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले चीनी उत्पादन में 28.34% की वृद्धि हुई है। सरकार ने इस वर्ष 15 लाख मीट्रिक टन चीनी के निर्यात की अनुमति दी है, जो चीनी मिलों और गन्ना उत्पादकों दोनों के लिए लाभकारी कदम है। हालांकि, गन्ने के उत्पादन में वृद्धि और उत्पादन लागत में बढ़ोतरी को देखते हुए, विशेषज्ञों और किसान संघों ने सरकार से चीनी का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) बढ़ाने की अपील की है ताकि गन्ना उत्पादकों पर वित्तीय दबाव कम हो सके। मुख्य बिंदु: चीनी उत्पादन में वृद्धि: दिसंबर 2025 के मध्य तक, भारत का चीनी उत्पादन 7.79 मिलियन मीट्रिक टन तक पहुंच चुका है, जो पिछले वर्ष की समान अवधि के 6.07 मिलियन मीट्रिक टन से 1.72 मिलियन मीट्रिक टन अधिक है। यह वृद्धि अच्छे मानसून और प्रमुख चीनी उत्पादक राज्यों में गन्ने के क्षेत्र में वृद्धि के कारण हुई है। गन्ने की पिराई आंकड़े: पूरे देश में चीनी मिलों ने अब तक 18.375 मिलियन मीट्रिक टन गन्ने की पिराई की है, जो पिछले साल की तुलना में 25.61% अधिक है। यह वृद्धि गन्ने की अधिक खेती, विशेषकर उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और अन्य राज्यों में देखी जा रही है। राज्यवार चीनी उत्पादन और पिराई: उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश में 120 चीनी मिलें चल रही हैं, जिन्होंने 26.4 मिलियन मीट्रिक टन गन्ने की पिराई की है, जिससे 2.505 मिलियन मीट्रिक टन चीनी का उत्पादन हुआ है, जो पिछले वर्ष के 2.295 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक है। महाराष्ट्र: महाराष्ट्र में 190 चीनी मिलें चल रही हैं, जिन्होंने 37.9 मिलियन मीट्रिक टन गन्ने की पिराई की है, जिससे 3.13 मिलियन मीट्रिक टन चीनी का उत्पादन हुआ है, जो पिछले वर्ष के 1.68 मिलियन मीट्रिक टन से दोगुना है। कर्नाटक: कर्नाटक में 76 चीनी मिलें चल रही हैं, जिन्होंने 16.6 मिलियन मीट्रिक टन गन्ने की पिराई की है, जिससे 1.55 मिलियन मीट्रिक टन चीनी का उत्पादन हुआ है, जो पिछले वर्ष के 1.35 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक है। अन्य राज्य: अन्य राज्यों ने अब तक 7.45 लाख मीट्रिक टन चीनी का उत्पादन किया है, जो पिछले वर्ष की समान अवधि के 6.05 लाख मीट्रिक टन से अधिक है। चुनौतियां और बाजार का रूख: चीनी कीमतों में मंदी: उत्पादन में वृद्धि के बावजूद, चीनी बाजार में मंदी देखने को मिल रही है क्योंकि अगले डेढ़ महीने तक कोई बड़ा त्योहार या शादी का आयोजन नहीं है, जिससे चीनी की खपत कम रहने की संभावना है। वर्तमान में महाराष्ट्र में चीनी की एक्स-मिल कीमत ₹3770-3790 प्रति क्विंटल और उत्तर प्रदेश में ₹3800-3850 प्रति क्विंटल चल रही है, जो बाजार में ठंडापन दिखाता है। किसानों और चीनी मिलों पर प्रभाव: चीनी की कम कीमतों के कारण पिराई लागत बढ़ गई है, जिससे चीनी मिलों और किसानों की लाभप्रदता पर असर पड़ रहा है। राष्ट्रीय सहकारी चीनी मिल संघ (NFCSF) ने इस मुद्दे पर चिंता व्यक्त की है और सरकार से चीनी का MSP ₹4100 प्रति क्विंटल बढ़ाने की मांग की है ताकि इन वित्तीय दबावों को कम किया जा सके। इसके अलावा, उन्होंने एथेनॉल कंपनियों के लिए 5 लाख मीट्रिक टन अतिरिक्त बिक्री कोटा देने की सिफारिश की है, ताकि गन्ना उत्पादकों और मिलों के लिए बेहतर मूल्य समर्थन सुनिश्चित किया जा सके। सरकार के कदम: सरकार ने 15 लाख मीट्रिक टन चीनी के निर्यात की अनुमति दी है, जिसका स्वागत किया गया है, क्योंकि यह न केवल निर्यात बाजार के लिए, बल्कि घरेलू गन्ना उत्पादकों के लिए भी फायदेमंद है। हालांकि, अभी भी MSP में वृद्धि की मांग जारी है, ताकि चीनी मिलों और किसानों को वित्तीय स्थिरता मिले और उद्योग को समर्थन मिल सके।

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