होली के बाद कैसा रह सकता है बासमती का बाजार

बासमती प्रजाति के चावल में पिछले ढाई-तीन महीने से गिरावट का माहौल बना हुआ था, जो अब निर्यातको की पूछपरख आने एवं पाकिस्तान में भाव बढ़ने से मंदे के बादल कम हो चुके हैं, ऐसा प्रतीत होने लगा है आगे मिलिंग पड़ता को देखते हुए मई-जून में भरपूर लाभ मिलने की संभावना बनने लगी है। जानकारों का कहना हैं कि 15 नवंबर से 29 फरवरी तक पाकिस्तान से सस्ते बासमती प्रजाति के चावल का निर्यात होने से भारतीय निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। दूसरी ओर निर्यात पर हूती विद्रोहियों के समुद्री मार्ग में दहशत का भी प्रभाव 3 महीने तक जबरदस्त पड़ा है। अब वर्तमान में ये दोनों ही कारण धीरे-धीरे शांत होने लगे हैं, क्योंकि पाकिस्तान में हाल ही में बासमती चावल के भाव 200/300 रुपए प्रति क्विंटल भारतीय करेंसी के अनुसार बढ़ गए हैं। यूपी में गर्मी वाले धान की रोपाई कम होने की खबरें आ रही है तथा उत्तरांचल में भी बीजाई प्रभावित होने की संभावना है। इसके अलावा जो खरीफ सीजन में धान, पंजाब हरियाणा यूपी राजस्थान एवं मध्य प्रदेश की मंडियों में आया था, वह उस समय ऊंचे भाव बिकने के बाद पिछले 3 महीने के अंतराल भारी मंदे में काफी कट चुका है तथा कुछ धान खराब भी हो गए हैं, इन परिस्थितियों में मिलिंग के लिए धान की उपलब्धि घट गई है तथा पड़ता 250/270 रु प्रति क्विंटल महंगा मिलिंग करने में लग रहा है। इसी वजह से यूपी में जो 1509 चावल सेला 6500 रु ट्रक लोड में बिका था, उसके भाव 6600 बोलने लगे हैं तथा यहां भी 6650 रु में बढ़िया सेला थोक में नहीं मिल रहा है। इसी तरह 1121 एवं 1718 सेला एवं स्टीम चावल की उपलब्धि कम हो गई है। अतः अब यहां से मंदे के आसार कम हो गए हैं। तथा ऐसा आभास हो रहा है कि जिस तरह अक्टूबर में भारी तेजी आई थी, उसी तरह मई-जून में भी एक बार बाजार काफी बढ़ने की उम्मीद है । यद्यपि अभी सरपट तेजी इस समय तो नहीं आएगी लेकिन धीरे-धीरे बाजार बढ़ जाएगा। इधर निर्यातकों के पास बासमती प्रजाति चावल के निर्यात सौदे पेंडिंग में पड़े हुए है तथा आयातक देशों में चावल की कमी बनने लगी है तथापि बाजारों में रुपए की तंगी होने से कुछ स्टॉकिस्ट अपना माल मंदे भाव में काटने लगे हैं, लेकिन वह माल भी धीरे-धीरे काफी स्टॉक में घट गया है। पंजाब के जंडियालागुरू, तरनतारण, अमृतसर आदि सभी मंडियों में धान की आवक घट गई है। उधर हरियाणा के तरावड़ी कैथल चीका सफीदों असंद टोहाना आदि हरियाणा की मंडियों में सीजन के ऊंचे भाव के माल गले में फंसे हुए थे, उसमें छोटे कारोबारी के माल कट चुके हैं। इन परिस्थितियों में बाजार कुछ दिन 100 रु ऊपर- नीचे चलेगा, लेकिन दूरगामी परिणाम फिर से नई फसल आने से पहले तेजी का लग रहा है।

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